यह आइडिया कैसा है?क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर रहते हुए यह बातचीत का एक हिस्सा था और इस भूमिका तक पहुँचने तक मैंने यही सबसे ज़्यादा कहा था। और आइडिया का आखिरी मूल्यांकन आमतौर पर कमरे में बैठे हर विभाग के प्रमुख या निर्णय लेने वाले अधिकारी करते हैं।
“मेरी समझ से…” कई करोड़ के वार्षिक मार्केटिंग बजट (budget) वाले अंतिम प्रस्ताव को कैसे चुना जाता है, इस सवाल पर एक वैश्विक ब्रांड के C-level अधिकारी ने शरमाते हुए जवाब दिया।
‘आइडिया का स्वरूप’ अन्य ब्रांडों के अभियान के संदर्भों (reference), ऑनलाइन लेखों में आँकड़ों (statistics) और उत्पाद की खपत से जुड़े आँकड़ों (data) से कर्मचारियों द्वारा बनाया जा सकता है। लेकिन इस आइडिया में हमारी कंपनी का पैसा लगाने पर क्या हम अपनी मनचाही सफलता हासिल कर पाएँगे, यह आखिर में जो सवाल नेता पूछते हैं, उसके लिए ‘आइडिया के सार’ पर आधारित ठोस आँकड़ों (data) की ज़रूरत होती है।
उस समय आइडिया को एक इंसान मानकर आगे बढ़ने का तरीका ‘आइडिया इंटरव्यू’काफ़ी मददगार होता है।
“तुम कौन हो और तुम्हारी भूमिका क्या है?”
“क्या तुमने ब्रांड के नज़रिए और उपभोक्ता के नज़रिए को अच्छी तरह से दर्शाया है?”
“क्या तुम्हारे ज़रिए इन दोनों की वास्तविकता गहराई से जुड़ेगी?”
“तुम्हारे दावे का आधार क्या है?”
“आधार की पुष्टि करने वाले आँकड़े (data) कहाँ हैं?”
पिछले समय में मैंने जो इंटरव्यू किये थे, उनमें आइडिया ने इस तरह जवाब दिया था।
“लोगों को मेरा अस्तित्व ही नहीं पता। बस वे यह जानना चाहते हैं कि मुझे किस तरह के कपड़े पहनाएँ और क्या काम करवाएँ।”
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